आयकर की धारा 43B(h) यह सुनिश्चित करती हैं की लघु और सूक्ष्म इकाइयों (Micro and Small Enterprises) द्वारा प्रदान की गई वस्तु और सेवा का समय पर भुगतान प्राप्त हो|
Sec. 43B(h) क्या हैं?
As Per Income Tax Act 1961, Any sum payable by the assessee to a micro or small enterprise beyond the time limit specified in section 15 of the Micro, Small and Medium Enterprises Development Act, 2006, shall be allowed only in computing the income referred to in section 28 of that previous year in which such sum is actually paid by him.
इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, करदाता द्वारा लघु और सूक्ष्म इकाइयों (Micro and Small
Enterprise) को वस्तु या सेवा के बदले MSMED Act, 2006 की धारा 15 में बताई गई समय सीमा के बाद भुगतान करने पर भुगतान के समय ही इसे खर्च माना जायेगा|
MSMEDA, 2006 की धारा 15 में क्या समय सीमा बताई गई हैं?
- जब लिखित में Agreement हो – अधिकतम 45 दिन में भुगतान करना होगा|
- जब लिखित में Agreement नही हो – अधिकतम 15 दिन में भुगतान करना होगा|
Sec 43B(h) कब लागु नही होता हैं?
- जब लघु और सूक्ष्म इकाई द्वारा MSMEDA, 2006 के अनुसार पंजीकरण नही करवाया गया हैं| मतलब इकाई का उद्यम रजिस्ट्रेशन बना हुआ नही हैं|
- जब इकाई MSMEDA, 2006 के अनुसार पंजीकृत हैं परन्तु रजिस्ट्रेशन व्यापारी (Trader) के रूप में लिया गया हैं|
- जब करदाता द्वारा अपनी फाइल आयकर की धारा 44AD, 44ADA या 44AE के अनुसार भरी जाती हैं|
- जब लेनदार का बकाया पुंजीगत खर्च (Capital Expenditure) से सम्बंधित हो|
Sec 43B(h) के लिए अपने लेनदार की श्रेणी कैसे जाँच करें?
- सबसे पहले अपने लेनदार से उनका उद्यम रजिस्ट्रेशन की माँग करें|
- यदि उनके पास उद्यम रजिस्ट्रेशन नही हैं तो भुगतान देरी से भी किया जा सकता हैं|
- लेनदार द्वारा उद्यम रजिस्ट्रेशन की जानकारी दिए जाने पर निचे बताई गई लिंक पर उनके उद्यम रजिस्ट्रेशन नंबर डाल कर उनके उद्यम की श्रेणी को देखें –https://udyamregistration.gov.in/Udyam_Verify.aspx
- उद्यम रजिस्ट्रेशन की जाँच करने पर Major Activity में “Manufacturing या Service Provider” और Type of Enterprise में “Micro या Small” होने पर समय पर भुगतान किया जाना आवश्यक हैं| अन्यथा यह राशि आपके आय में जुड़ जाती हैं|
FAQs
वह इकाई जिनका कुल निवेश 1 करोड़ रूपये से कम हैं और प्रति वर्ष टर्नओवर 5 करोड़ रूपये से कम हैं|
वह इकाई जिनका कुल निवेश 10 करोड़ रूपये से कम हैं और प्रति वर्ष टर्नओवर 50 करोड़ रूपये से कम हैं|
वित्तीय वर्ष 2023-24 के बाद के लेनदेन पर धारा 43B(h) लागु होती हैं| मतलब 01 अप्रैल 2023 के बाद के लेनदेन इसमें शामिल हैं|
नही, लेनदार ट्रेडर होने पर धारा 43B(h) लागु नही होती हैं| मतलब उन्हें समय सीमा के बाद भुगतान करने पर आय की गणना के समय बकाया आधार पर खर्च माना जा सकता हैं|
नही, करदाता द्वारा धारा 44 AD में अपना ITR भरने पर धारा 43B(h) लागु नही होती हैं| अतः करदाता द्वारा लेनदार को समय सीमा पर भुगतान नही करने पर भी आय की गणना के समय इसे खर्च मन लिया जाता हैं|