सैलरी पर टैक्स calculate करना थोडा complex हैं लेकिन यह पर्सनल फाइनेंस का महत्वपूर्ण पहलू होता हैं| इसमें टैक्सेबल सैलरी और सही टैक्स की रेट को deductions को ध्यान में रखते हुए निकालना होता हैं| इनकम टैक्स के नियमो का पालन करने के लिए इसे समझना आवश्यक हैं|
इस पोस्ट में सैलरी से कमाए गए पैसे पर किस तरह इनकम टैक्स लगता हैं उसके बारे में चर्चा रहेगी|
When Salary employee should file their ITR?
इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार किसी व्यक्ति की एक वर्ष में आय 2.5 लाख से ज्यादा होने पर उन्हें अपना इनकम टैक्स रिटर्न तैयार करवाना होता हैं| अतः एक वर्ष में 2.5 लाख से ज्यादा सैलरी होने पर इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करवाना आवश्यक होता हैं|
What is the last date to file Salary ITR?
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(1) के अनुसार 31 जुलाई तक ITR फ़ाइल करना होता हैं| 31 जुलाई के बाद ITR फ़ाइल करने पर लेट फीस का भुगतान भी करना होता हैं|
Income | Late Fee |
Rs. 2.5 Lac to 5 Lac | Rs. 1000 |
More than Rs. 5 Lac | Rs. 5000 |
How to calculate tax on Salary?
सैलरी पर इनकम टैक्स की गणना करने के लिए कुछ स्टेप्स फॉलो करने होते हैं| जिन्हें आसान भाषा में निचे बताया गया हैं –
- Calculation of Gross Salary: सबसे पहले gross salary निकालनी होती हैं| इसमें बेसिक सैलरी, बोनस, allowance आदि शामिल होते हैं|
- Calculation of Exemptions: सैलरी में बहुत सारे component होते हैं| लेकिन उनके से कुछ कर मुक्त (Exempt) हो सकते हैं| जैसे House Rent Allowance (HRA), Leave Travel Allowance (LTA) आदि| इन exemptions को gross salary में से कम करना चाहिए|
- Old Regime में सभी exemptions मिलते हैं|
- New Regime में कोई भी exemptions नही मिलते हैं|
- Calculation of Deductions: इनकम टैक्स में धारा 80C से 80U बहुत से deductions दिए हुए हैं| इसके अतिरिक्त धारा 24(b) में होम लोन पर लगे ब्याज का 2 लाख तक का deduction मिलता हैं| और सभी employees को 50,000 का Standard Deduction मिलता हैं| यह deductions, gross salary को कम करते हैं|
- Old Regime में सभी deductions मिलते हैं|
- New Regime में केवल Standard Deduction मिलता हैं|
- Calculation of Net Salary/ Taxable Salary: Gross Salary में से exemptions और deductions को कम करके Net Salary निकाली जाती हैं|
Net Salary = Gross Salary – Exemptions – Deductions
- Selection of Tax slab and application of right tax rate: India में बढती हुई इनकम पर बढ़ी हुई रेट से टैक्स लगता हैं| मतलब Slab Rate से टैक्स लगता हैं|
- Calculation of Tax Liability: Net Salary पर सही Tax Rate लगाकर Tax Liability निकालनी होती हैं|
- Calculation of Rebate: Tax Liability निकालने के बाद यदि rebate उपलब्ध हो तो उसका लाभ लेना चाहिए|
- Old Regime में Rs. 12,500 तक की rebate मिलती हैं|
- New Regime में Rs. 25,000 तक की rebate मिलती हैं|
- Calculation of Surcharge: यदि सरचार्ज लागु हो तो उसे भी Tax Liability में जोड़ना होता हैं|
- Calculation of Health and Education Cess: Salary पर Income tax के साथ 4% का health and education cess का भुगतान भी करना होता हैं|
- Calculation of Final Tax Liability: निचे बताये गए तरीके से आप फाइनल टैक्स पर पहुचते हैं –
Final Tax Liability = Tax Liability – Rebate + Surcharge + H&E Cess
- TDS: यदि आप पर इनकम टैक्स लागु होता हैं तो आपकी कम्पनी द्वारा हर माह आपकी सैलरी में से TDS काटा जाता हैं| और साल के अन्त में Final Tax Liability के सामने TDS की क्रेडिट मिल जाती हैं|
- Filing of Income Tax Return (ITR): अब आप अपने इनकम टैक्स रिटर्न को फ़ाइल कर सकते हैं|
Which regime is best to choose for a salaried employee?
- ओल्ड regime में सभी deductions और exemptions का benefit मिलता हैं लेकिन न्यू regime में कुछ का ही लाभ मिलता हैं|
- न्यू regime में टैक्स की रेट तुलनात्मक रूप से कम हैं|
- अतः सभी पहलू को देखकर ही बेस्ट regime का निर्णय किया जा सकता हैं|